सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम
1. नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी)
एनटीपीसी भारत में सबसे बड़ी विद्युत उत्पादन कंपनी है। एनटीपीसी देश में विद्युत क्षेत्र के एकीकृत विकास में तेजी लाने के लिए, संबद्ध पारेषण लाइनों के साथ बड़े आकार के तापीय विद्युत स्टेशनों का निर्माण करने के उद्देश्य के साथ 7 नवंबर, 1975 को निगमित की गई थी। सम्पूर्ण विद्युत उद्योग में एनटीपीसी की भागीदारी को मान्यता देते हुए, एनटीपीसी कोवर्ष 1997 में नवरत्न कंपनी का दर्जा दिया गया था।
एनटीपीसी वर्ष 2004 में सूचीबद्ध कंपनी बन गई। वर्ष 2005 में, कंपनी के व्यावसायिक पोर्टफोलियो में आए बदलावों के अनुरूप "एनटीपीसी लिमिटेड" के रूप में पुनर्नामित किया गया था जिसके परिणामस्वरूप कंपनी तापीय विद्युत उत्पादन से विविधता और पश्चगामी तथा अग्रगामी एकीकरण के माध्यम से सम्पूर्ण ऊर्जा मूल्य श्रृंखला में उपस्थिति के साथ एक एकीकृत विद्युत कंपनी में परिवर्तित हो गई। एनटीपीसी ने जल विद्युत, कोयला खदान, विद्युत व्यापार, राख व्यवसाय, उपस्कर विनिर्माण, नवीकरणीय ऊर्जा, विद्युत वितरण आदि में सशक्त प्रयास किए हैं।
19 मई, 2010 को, एनटीपीसी को "भारत के विकास को ऊर्जा प्रदान करने हेतु विश्व का सबसे बड़ा और सर्वोत्तम विद्युत उत्पादक बनना" के इसके विजन के अनुरूप इसे वैश्विक विशालकाय बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा 'महारत्न कंपनी' का वांछित दर्जा दिया गया था।
एनटीपीसी के पास 10,000 करोड़ रुपये की प्राधिकृत शेयर पूंजी और 8,245.5 करोड़ रुपये की प्रदत्त पूंजी है।
एनटीपीसी की 31 मार्च, 2012 की स्थिति के अनुसार संस्थापित क्षमता संयुक्त उद्यमों/सहयोगी कंपनियों के अधीन 4,364 मेगावाट सहित 37,014 मेगावाट है जिसमें इक्कीस स्थानों पर कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों से 31,119 मेगावाट और आठ स्थानों पर कंबाइंड साइकल गैस/नाफ्था आधारित विद्युत संयंत्रों से 5,895 मेगावाट शामिल है। देश की कुल संस्थापित क्षमता में 31 मार्च, 2012 को एनटीपीसी का हिस्सा 18.52 प्रतिशत (संयुक्त उद्यमों/सहयोगी कंपनियों सहित) है जबकि इसने वर्ष 2011-12 के दौरान देश में कुल विद्युत उत्पादन (भूटान को आयात की गई विद्युत को छोड़कर) की 27.57 प्रतिशत (संयुक्त उद्यमों/सहयोगी कंपनियों सहित) भागीदारी की है।
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2. एनएचपीसी लिमिटेड
एनएचपीसी लिमिटेड का गठन कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत 1975 में किया गया था । एनएचपीसी का लक्ष्य सस्ती/प्रदूषण रहित एवं अक्षय ऊर्जा उत्पादित करने के लिए देश की विशाल जलविद्युत, टाइडल, पवन संभाव्यता का दोहन करना है । एनएचपीसी जलविद्युत, टाइडल एवं पवन ऊर्जा परियोजनाओं के अन्वेषण, आयोजना, डिजाइन, निर्माण, प्रचालन एवं अनुरक्षण जैसे सभी पहलुओं को शामिल करते हुए केंद्रीय क्षेत्र में जलविद्युत, टाइडल, पवन ऊर्जा को एकीकृत एवं कुशल प्रभावी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी । एनएचपीसी भारत सरकार का श्रेणी ‘ए’ उद्यम है जिसकी प्राधिकृत शेयर पूंजी 5,000 करोड़ रूपए है । 10,000 करोड़ रूपए से अधिक के निवेश आधार वाली एनएचपीसी निवेश के परिप्रेक्ष्य में देश की सर्वोपरि दस कंपनियों में से एक है ।
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3. रूरल इलैक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन (आरईसी)
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4. नार्थ ईस्टर्न इलैक्ट्रिक पावर कारपोरेशन (नीपको)
नार्थ ईस्टर्न इलैक्ट्रिक पावर कारपोरेशन लि (नीपको) का गठन पूर्वोत्तर क्षेत्र के नियोजित विकास के माध्यम से देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र की व्यापक विद्युत क्षमता का विकास करने के उद्देश्य से कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत वर्ष 1976 में किया गया था। तब से नीपको 2500.00 करोड़ रूपए की प्राधिकृत पूंजी सहित एक अग्रणी सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम के रूप में विकसित हुआ है। इसे अनुसूची ख संगठन की श्रेणी में रखा गया है।
देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र को देश की उच्चतम जल-विद्युत क्षमता का वरदान प्राप्त है जो देश की कुल आरक्षित क्षमता का लगभग 33% उत्पादन करते हुए 48000 मेगावाट आकलित की गई है। इस क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक गैस स्रोत उपलब्ध हैं। विकसित क्षेत्र के अंतर्गत जहां मुख्य संरचना को विद्युत के रूप में चिन्हित किया गया है, विकास का विशाल क्षेत्र उपलब्ध है।
नार्थ ईस्टर्न इलैक्ट्रिक पावर कारपोरेशन का मुख्य उद्देश्य चालू उत्पादन परियोजनाओं का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने, निवेश पर न्यायसंगत रिटर्न सुनिश्चित करते हुए पर्याप्त आंतरिक स्रोत तैयार करने और राज्य विद्युत बोर्डों/विभागों से प्राप्त करने योग्य के लिए निरंतर प्रयास करने, पूर्वोत्तर क्षेत्र में नदी बेसिन की जल विद्युत उत्पादन क्षमता में वृद्धि करना है। वर्तमान में, नीपको पूर्वोत्तर क्षेत्र में 1649 मेगावाट की कुल संस्थापित क्षमता में से 625 मेगावाट का योगदान दे रहा है।
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5. पावर फाइनेंस कारपोरेशन(पीएफसी)
पावर फाइनेंस कारपोरेशन लि. (पीएफसी) का गठन कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत 16 जुलाई, 1986 को किया गया था। पीएफसी का लक्ष्य विद्युत क्षेत्र की प्रगति एवं संपूर्ण विकास को समर्पित मुख्य विकास वित्तीय संस्थान के रूप में कार्य करना है। पीएफसी की ऋणी सूची में राज्य विद्युत बोर्ड, राज्य उत्पादन कारपोरेशन, केंद्रीय और निजी क्षेत्र की विद्युत यूटिलिटियों के अतिरिक्त निगम द्वारा चालित विद्युत यूटिलिटियां शामिल है। कारपारेशन द्वारा उपलब्ध कराई गई निधि आबंटन की योजना तैयार करने के लिए अतिरिक्त निधि के रूप में होती है और परियोजन विशेष के गुणों पर आधारित होती है। 30 जून, 1999 की स्थिति के अनुसार, कारपोरेशन की प्राधिकृत पूंजी और प्रदत्त (इक्विटी) पूंजी क्रमशः 2000 करोड़ रूपए और 1030 करोड़ रूपए थी।
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6. पावर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया (पावरग्रिड)
पावर ग्रिड का गठन ''बेहतर वाणिज्यिक सिद्धांतों पर विश्वसनीयता, सुरक्षा और अर्थव्यवस्था सहित क्षेत्र के भीतर और बाहर विद्युत के अंतरण की सुविधा प्रदान करने के लक्ष्य से क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पावर ग्रिडों की स्थापना और प्रचालन'' के उद्देश्य से 23 अक्टूबर, 1989 को किया गया था। पावर ग्रिड पारेषण क्षेत्र जिसे अब तक अलग रखा गया है, को उचित प्राथमिकता देने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। अब इसकी भारत के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र की पहचान की गई है और पावर ग्रिड को देश की केंद्रीय राष्ट्रीय पारेषण यूटिलिटी के रूप में वैधानिक रूप से मान्यता दी गई है।
विगत 7 वर्षों के दौरान, कंपनी ने राष्ट्रीय नेटवर्क की लगभग 13,000 सर्किट किमी इएचवी पारेषण लाइनें शामिल की है। कंपनी का परिसंपत्ति आधार वर्ष 1992-93 में 3521 करोड़ रूपए से बढ़कर वर्ष 1997-98 में 8096 करोड़ रूपए हो गई थी और 1992-93 में 634 करोड़ रूपए की संतुलित राशि से वर्ष 1997-98 में 1434.68 करोड़ रूपए की संतुलित राशि पर बेची गई। पावर ग्रिड 31,000 सर्किट किमी की पारेषण लाइनों का प्रचालन करता है जिसमें लगभग 28,000 एमवीए की 400 केवी, 220 केवी, 132 केवी एसी पारेषण लाइनें और एचवीडीसी पारेषण प्रणाली शामिल है जो 55 से अधिक सबस्टेशनों को बांटी गई हैं और 98% से अधिक उपलब्धता स्तर पर व्यवस्थित की गई है।
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7. एसजेवीएन-मिनी रत्न कंपनी
एसजेवीएनएल लि. विद्युत मंत्रालय के अधीन मिनीरत्न और अनुसूची 'क' के अधीन सीपीएसयू, भारत और हिमाचल प्रदेश के बीच एक संयुक्त उद्यम है। इसकी स्थापना वर्ष 1998 में हुई थी।
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8. टीएचडीसी इंडिया लि.
टीएचडीसी इंडिया लि. विद्युत घटक के लिए 75:25 के साम्या शेयर अनुपात में भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार का संयुक्त उद्यम है। यह कंपनी 2400 मेगावाट की टिहरी जल विद्युत कॉम्प्लैक्स और अन्य जल विद्युत परियोजनाओं का विकास, प्रचालन एवं अनुरक्षण करने के लिए जुलाई 1988 में अस्तित्व में आई। कंपनी के पास 4000 करोड़ रूपए का अधिकृत पूंजी हिस्सा और 3473.10 करोड़ रूपए की प्रदत्त राशि है। टीएचडीसीएल श्रेणी-। एक मिनीरत्न और अनुसूची 'ग' की केंद्रीय विद्युत क्षेत्र इकाई है। कंपनी की ज्ञापन और संस्था नियमावली भागीरथी घाटी से बाहर की परियोजनाओं की वर्तमान व्यवसायिक स्थिति को दर्शाने के लिए संशोधित की गई है। ऊर्जा के पारंपरिक/गैर-पारंपरिक/नवीकरणीय स्रोतों और नदी घाटी परियोजनाओं के विकास को शामिल करने के लिए आब्जेक्ट खंड को संशोधित किया गया है। यह कंपनी एक बहुत-परियोजना संगठन के रूप में उभर कर आई है जिसमें विभिन्न राज्यों के साथ-साथ पड़ोसी देश भूटान में परियोजनाएं फैली हुई है। वर्तमान में टीएचडीसीआईएल की संस्थापित क्षमता 1,400 मेगावाट है। टीएचडीसीआईएल के दो उत्पादन स्टेशन अर्थात टिहरी चरण-।(4x250 मेगावाट) और कोटेश्वर एचईपी (4x100 मेगावाट) है।
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9. पावर सिस्टम आपरेशन कारपोरेशन लिमिटेड (पोसोको)