हरित ऊर्जा गलियारा

वर्ष 2012 में, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल) द्वारा एक अध्ययन किया गया था जिसमें यह पाया गया था कि संभावित स्थलों के निकट के इलाकों में विद्युत की निकासी तथा पारेषण अवसंरचना कम थी और इसलिए, बड़े पैमाने पर सौर और पवन ऊर्जा संयंत्रों के लिए समर्पित पारेषण अवसंरचना नियोजित की गई थी। पीजीसीआईएल द्वारा ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (जीईसी) रिपोर्ट वित्तीय वर्ष 2012-13 में प्रस्तुत की गई थी और उचित अनुमोदन प्रक्रिया के बाद वर्ष 2015 में कार्यान्वयन कार्य शुरू हुआ। जीईसी में नवीकरणीय ऊर्जा प्रबंधन केंद्र (आरईएमसी) की स्थापना के साथ इंटर स्टेट पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) तथा इंट्रा स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएनएसटीएस) दोनों शामिल हैं और प्रतिक्रियाशील मुआवजा, भंडारण प्रणाली इत्यादि जैसे नियंत्रण अवसंरचना शामिल हैं।

 

अंत:राज्‍यीय पारेषण प्रणाली हरित ऊर्जा कॉरिडोर चरण-I

कुल 3200 सीकेएम अंत:राज्‍यीय पारेषण लाइनों और 17000 एमवीए सबस्टेशन वाली आईएसटीएस जीईसी परियोजना मार्च 2020 में शुरू की गई थी। परियोजना की शुरुआत साल 2015 में हुई थी। परियोजना पीजीसीआईएल द्वारा कार्यान्वित की गई थी। पीजीसीआईएल द्वारा 30% इक्विटी तथा केएफ़डबल्यू (ईयूआर 500 मिलियन) और एडीबी (लगभग 2800 करोड़ रुपये) से 70% ऋण सहित वित्त पोषण तंत्र के साथ परियोजना लागत 11369 करोड़ रुपये है। परियोजना को लगभग 6 गीगावाट आरई विद्युत निकालने के लिए कार्यान्वित किया गया था। इसके अतिरिक्त, विद्युत मंत्रालय ने पत्र संख्या 11/64/2014-पीजी दिनांक 8-01-2015 के माध्यम से अनंतपुर (1500 मेगावाट), पावगडा (2000 मेगावाट), रीवा (750 मेगावाट), भादला-III (500 मेगावाट), भादला-IV (250 मेगावाट), एस्सेल (750 मेगावाट), बनासकांठा (700 मेगावाट) और फतेहगढ़ (1000 मेगावाट) जैसे सौर पार्कों के लिए पारेषण स्कीमों संबंधित कार्य सौंपे हैं, जो पावरग्रिड द्वारा कार्यान्वित किए जाएंगे। पावरग्रिड को सौंपे गए सभी 7 सौर पार्कों के लिए पारेषण प्रणाली शुरू कर दी गई है। फतेहगढ़ में 1000 मेगावाट एआरईपीएल सौर पार्क के लिए पारेषण प्रणाली भी आईएसटीएस के तहत टीबीसीबी के माध्यम से मैसर्स एफबीटीएल द्वारा शुरू की गई है।

आरईएमसी को निम्नलिखित 11 स्थानों पर संस्थापित किया गया है:

  1. आरईएमसी-एसआर (तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एसएलडीसी और एसआरएलडीसी)।
  2. आरईएमसी-डबल्यूआर (गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एसएलडीसी और डबल्यूआरएलडीसी),
  3. आरईएमसी-एनआर (राजस्थान एसएलडीसी, एनआरएलडीसी और एनएलडीसी)

 

अंतरा-राज्यीय पारेषण प्रणाली हरित ऊर्जा कॉरिडोर चरण-I

9700 सीकेएम अंतरा-राज्यीय पारेषण लाइनों और 22600 एमवीए सब-स्टेशनों के कुल लक्ष्य के साथ आईएनएसटीएस जीईसी स्कीम को वर्ष 2015 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) द्वारा अनुमोदित किया गया था। आईएनएसटीएस जीईसी स्कीम वर्तमान में 8 आरई समृद्ध राज्यों, अर्थात आंध्र प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान एवं तमिलनाडु की राज्य पारेषण यूटिलिटियों (एसटीयू) द्वारा कार्यान्वित की जा रही है। एमएनआरई द्वारा 40% केंद्रीय अनुदान (4056.67 करोड़ रुपये), केएफ़डबल्यू जर्मनी से 40% ऋण (ईयूआर 500 मिलियन) और एसटीयू द्वारा 20% इक्विटी से युक्त वित्त पोषण तंत्र के साथ परियोजना लागत 10,141.68 करोड़ रुपये है।

उपरोक्त 8 राज्यों में लगभग 24 गीगावाट आरई विद्युत की निकासी के लिए परियोजनाएं स्थापित की जा रही हैं, जिनमें से लगभग 16.4 गीगावाट आरई को शुरू किया गया है और आईएनएसटीएस जीईसी के अंतर्गत स्थापित परियोजनाओं के माध्यम से ग्रिड से जोड़ा गया है। दिनांक 31.10.2022 की स्थिति के अनुसार, कुल 8651 सीकेएम पारेषण लाइनों का निर्माण किया गया है और 19558 एमवीए के सबस्टेशन चार्ज किए गए हैं। 8 राज्यों में से 3 ने अर्थात राजस्थान, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु ने सभी परियोजनाओं को पूरा कर लिया है। एसटीयू के अनुरोध पर आईएनएसटीएस जीईसी स्कीम के अंतर्गत परियोजनाओं की शुरूआती समयसीमा मार्च 2023 तक बढ़ा दी गई है।

अंतरा-राज्यीय पारेषण प्रणाली हरित ऊर्जा कॉरिडोर चरण-II

जनवरी 2022 में सीसीईए द्वारा 10750 सीकेएम अंतरा-राज्यीय पारेषण लाइनों और 27500 एमवीए सब-स्टेशनों के कुल लक्ष्य के साथ आईएनएसटीएस जीईसी -II स्कीम को मंजूरी दी गई थी।   

एमएनआरई से 3970.34 करोड़ रुपये की केंद्रीय वित्तीय सहायता के साथ परियोजना लागत 12031.33 करोड़ रुपये है (अर्थात परियोजना लागत का 33%)। परियोजना लागत का शेष 67% केएफडब्ल्यू/आरईसी/पीएफसी से ऋण के रूप में उपलब्ध है। पारेषण स्कीमों को सात राज्यों, अर्थात गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश की राज्य पारेषण यूटिलिटियों (एसटीयू) द्वारा सात राज्यों में लगभग 20 गीगावाट आरई विद्युत की निकासी के लिए कार्यान्वित किया जाएगा। वर्तमान में, एसटीयू पैकेज तैयार कर रहे हैं और परियोजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए निविदाएं जारी करने की प्रक्रिया में हैं। इस स्कीम के अंतर्गत परियोजनाओं के लिए निर्धारित शुरूआती समय मार्च 2026 है।

स्कीम के अंतर्गत परियोजनाओं का राज्यवार संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:

राज्य

अनुमानित परियोजना लागत (रुपये करोड़ )

परिकल्पित पारेषण लाइनों की लंबाई (सीकेएम)

परिकल्पित सबस्टेशनों की क्षमता (एमवीए)

आरई अतिरिक्त परिकल्पित (मेगावाट)

गुजरात

3636.73

5138

5880

4000

हिमाचल प्रदेश

489.49

62

761

317

कर्नाटक

1036.25

938

1225

2639

केरल

420.32

224

620

452

राजस्थान

880.92

1170

1580

4023

तमिलनाडु

719.76

624

2200

4000

उतार प्रदेश।

4847.86

2597

15280

4000

कुल

12,031.33

10753

27546

19431