500 गीगावाट गैर जीवाश्म ईंधन लक्ष्य

वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से 50% संचयी विद्युत शक्ति संस्थापित क्षमता प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त पहल।

भारत सरकार ने वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा स्रोतों से 50% संचयी विद्युत शक्ति संस्थापित क्षमता संस्थापित करने का लक्ष्य रखा है। इस संबंध में, ग्रिड में नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण की दिशा में निम्नलिखित अतिरिक्त पहलें शुरू की गई हैं: 

क. राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में 66.5 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के एकीकरण के लिए पारेषण स्कीमों की आयोजना बनाई गई है और वे कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं।
ख. राजस्थान, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में लगभग 55.08 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता चिह्नित की गई है, जिसके लिए पारेषण प्रणाली की आयोजना बनाई गई है और उसका कार्यान्वयन शुरू किया जाएगा।
ग. विभिन्न मौजूदा/निर्माणाधीन आईएसटीएस सब स्टेशनों में मार्जिनों के माध्यम से आईएसटीएस ग्रिड में लगभग 33.35 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा को एकीकृत किया जा सकता है।
घ. शेष क्षमता अभिवृद्धि के लिए, एसईसीआई ने प्रारंभिक रूप से 8 राज्यों नामतः आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश तथा गुजरात एवं तमिलनाडु में अपतटीय पवन में 181.5 गीगावाट क्षमता वाले संभावित नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों को चिह्नित किया है जिसमें भंडारण (43.6 गीगावाट के बीईएसएस) के साथ विभिन्न हाइब्रिड एवं सौर स्थानों की आयोजना बनाई गई है। इस संबंध में, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा स्रोतों से 500 गीगावाट उत्पादन क्षमता से अधिक के एकीकरण के लिए पारेषण प्रणाली के लिए एक रिपोर्ट तैयार की गई है।

लगभग 2,44,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर आईएसटीएस नेटवर्क में लगभग 51,000 सीकेएम की पारेषण लाइनें और 4,33,500 एमवीए परिवर्तन क्षमता जोड़े जाने की उम्मीद है। इन पारेषण स्कीमों में विभिन्न उच्च क्षमता वाली 765 केवी और 400 केवी ईएचवीएसी पारेषण लाइनें और ±800 केवी और ±350 केवी एचवीडीसी लाइनें शामिल हैं।