विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 38 के अंतर्गत सेंट्रल ट्रांसमिशन यूटिलिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीटीयूआईएल), पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की 100% सहायक कंपनी, को केंद्रीय पारेषण यूटिलिटी के रूप में अधिसूचित किया गया है। विद्युत अधिनियम, 2003 के अनुसार इसके कार्य निम्नानुसार हैं:
क. अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली के माध्यम से विद्युत के पारेषण हेतु; ख. निम्नलिखित हितधारकों (i) राज्य पारेषण यूटिलिटियों; (ii) केंद्र सरकार; (iii) राज्य सरकारें; (iv) उत्पादक कंपनियों; (v) क्षेत्रीय विद्युत समितियां; (vi) प्राधिकरण; (vii) लाइसेंसधारी; (viii) इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित कोई अन्य व्यक्ति के साथ अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली से संबंधित योजना और समन्वय के सभी कार्यों का निर्वहन करना: ग. उत्पादन स्टेशनों से भार केंद्रों तक विद्युत के सुचारू प्रवाह के लिए अंतर-राज्यीय पारेषण लाइनों की एक कुशल, समन्वित और किफायती प्रणाली का विकास सुनिश्चित करना। घ. उपयोग के लिए अपने पारेषण प्रणाली को गैर-भेदभावपूर्ण खुली पहुंच प्रदान करने के लिए- i. पारेषण प्रभारों के भुगतान पर कोई अनुज्ञप्तिधारी अथवा विद्युत उत्पादन कंपनी; अथवा ii. किसी भी उपभोक्ता को जब राज्य आयोग द्वारा धारा 42 की उप-धारा (2) के अंतर्गत इस तरह की खुली पहुंच प्रदान की जाती है, तो पारेषण शुल्क और उस पर एक अधिभार, जैसा कि केंद्रीय आयोग द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है|
सीटीयू द्वारा किए गए अन्य कार्यों में शामिल हैं
क. क्रॉस-बॉर्डर पारेषण प्रणाली की योजना ख. आईएसटीएस प्रभारों की बिलिंग, संग्रह और संवितरण से जुड़े वाणिज्यिक कार्य ग. आईएसटीएस सीमा पार संपर्कों के लिए विश्वसनीय राष्ट्रीय संचार प्रणाली के विकास के लिए योजना एवं समन्वय के लिए एक नोडल एजेंसी है। घ. आईएसटीएस बिंदुओं के लिए इंटरफेस एनर्जी मीटर स्वामित्व एवं संस्थापित करना। ङ. सबस्टेशन और लाइन डिजाइन से जुड़े इंजीनियरिंग कार्य के साथ-साथ संबंधित सुरक्षित संचार और तकनीकी निर्देश
|