हरित ऊर्जा कोरिडोर-1 के अंतर्गत पारेषण निर्माण कार्य
हरित ऊर्जा कोरिडोर 12वीं योजना अवधि के दौरान 32,713 मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता वाली नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) क्षमता के निर्वातन एवं एकीकरण की एक विस्तृत योजना है। 34141 करोड़ रूपये की धनराशि की आवश्यकता का प्रारंभिक आकलन आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं तमिलनाडु जैसे नवीकरणीय स्रोतों से समृद्ध राज्यों में पारेषण प्रणाली तथा नवीकरणीय ऊर्जा की अतिरिक्त क्षमता के लिए नियंत्रण अवसंरचना के विकास के लिए किया गया था। इन राज्यों में अतिरिक्त प्रस्तावित क्षमता के निर्वातन के लिए नवीकरणीय ऊर्जा प्रबंधन केन्द्र (आरईएमसी) तथा प्रतिक्रियात्मक क्षतिपूर्ति, भंडारण प्रणालियां आदि जैसी नियंत्रण अवसंरचना के साथ अंतर्राज्जीय एवं अंतरा राज्य दोनों ही पारेषण प्रणालियों को स्थापित करना प्रस्तावित है। विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार ने दिनांक 11.09.2017 के अपने कार्यालय ज्ञापन के द्वारा 409 करोड़ रूपये की संस्वीकृति प्रदान की है। आरईएमसी की अधिष्ठापना के लिए पावरग्रिड को परियोजना प्रबंधन परामर्शदाता (पीएमसी) के रूप में नियुक्त किया गया है। 10 प्रतिशत की दर से पीएमसी प्रभारों को भी 409 करोड़ रूपये की संस्वीकृति लागत में शामिल किया गया है। 11 स्थानों के लिए आरईएमसी परियोजना के लिए निम्नलिखित पैकेजों को परिकल्पित किया गया है:
1. आरईएमसी-एसआर (तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक एसएलडीसी एवं एसआरएलडीसी),
2. आरईएमसी-डब्लयूआर (गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश एसएलडीसी एवं डब्लयूआरएलडीसी),
3. आरईएमसी-एनआर (राजस्थान, एसएलडीसी, एनआरएलडीसी एवं एनएलडीसी)
नवीकरणीय ऊर्जा विद्युत के निर्वात्तन के लिए अपेक्षित अंतरा राज्य एवं अंतर्राज्जीय पारेषण प्रणालियों की मौजूदा अनुमानित लागत क्रमशः 12693.94 करोड़ रूपये एवं 15455 करोड़ रूपये (संशोधित आंकड़े) हैं। अंतरा राज्य पारेषण योजनाओं को राज्य सरकार की 20 प्रतिशत इक्विटी से तथा 40 प्रतिशत राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा निधि (एनसीईएफ) से और 40 प्रतिशत सुलभ ऋण से वित्त पोषित किया जाएगा जबकि अंतर्राज्जीय पारेषण योजनाओं को पीजीसीआईएल द्वारा 30 प्रतिशत इक्विटी से एवं 70 प्रतिशत सुलभ ऋण से वित्तपोषित किया जाएगा। भारत सरकार एवं जर्मनी सरकार के बीच सहयोग के ढांचे के अंतर्गत अंतरा राज्य एवं अंतर्राज्जीय दोनों ही प्रकार की परियोजनाओं में हरित ऊर्जा कोरिडोर के वित्तपोषण के लिए केएफडब्लयू जर्मनी लगभग 1 बिलियन यूरो का सुलभ ऋण प्रदान कर रहा है। हरित ऊर्जा कोरिडोर के भाग क, ख एवं ग से संबंधित अंतर्राज्जीय पारेषण परियोजनाओं के लिए केएफडब्लयू, जर्मनी से 500 मिलियन यूरो की वित्तीय सहायता के लिए ऋण करार पर पीजीसीआईएल द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं और इन परियोजनाओं के वर्ष 2018 तक पूरा होने की संभावना है। इसके अतिरिक्त, हरित ऊर्जा कोरिडोर - भाग घ के अंतर्गत पारेषण योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए पीजीसीआईएल ने एडीबी से ऋण लिया है। हरित ऊर्जा कोरिडोर के अंतर्गत अंतरा-राज्य पारेषण परियोजनाओं के लिए तमिलनाडु, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश , आन्ध्र प्रदेश, गुजरात एवं मध्यप्रदेश ने क्रमशः 76 मिलियन यूरो, 49 मिलियन यूरो, 57 मिलियन यूरो, 68 मिलियन यूरो, 114 मिलियन यूरो एवं 124 मिलियन यूरो की वित्तीय सहायता के लिए केएफडब्लयू, जर्मनी से ऋण करार पर हस्ताक्षर किए हैं। राज्यों द्वारा प्रारंभ की गई अंतरा राज्य पारेषण योजनाएं निविदा आमंत्रित करने और आगे प्रदान करने के विभिन्न चरणों पर हैं और उनके वर्ष 2018-19 तक क्रमशः कार्यान्वित होने की संभावना है। प्रदान की जा चुकी योजनाओं के लिए का कार्य प्रगतिधीन है। पारवरग्रिड को प्रदान की गई अंतर्राज्जीय पारेषण योजना पूरी हो चुकी है। इसके अतिरिक्त, फरवरी, 2020 में पावरग्रिड द्वारा 11 आरईएमसी शुरू की गई थी। इसके अतिरिक्त, एक नई आरईएमसी तेलांगाना एवं एक ईएमसी का कार्यान्वयन अंडमान एवं निकोबार द्वीप में प्रगतिधीन है और उसके वित्त वर्ष 2021-22 में पूरा होने की संभावना है।