श्रीनगर से लेह तक 220 केवी ट्रांसमिशन सिस्टम
जम्मू एवं कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में लेह एवं कारगिल जिले आते है जोकि विश्व के सर्वोच्च आवास योग्य स्थान है। इसके दुर्गम क्षेत्र के कारण, लद्दाख का अधिकांश क्षेत्र शेष पावर ग्रिड से बिजली से जुड़ा हुआ नहीं है। इसके कारण, इस क्षेत्र की बिजली की मांग कुछ स्थानीय छोटे जल विद्युत उत्पादन एवं डीजल जनित्रों से पूरी की जाती है। सर्दियों में पनबिजली परियोजनाओं से बिजली का उत्पादन काफी कम हो जाता है जबकि बिजली की मांग में बढ़ोतरी हो जाती है। गर्मियों में, जल विद्युत उत्पादन अधिकतम होता है जबकि मांग सामान्यतः कम होती है। इसलिए, लद्दाख क्षेत्र एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में अबाधित विद्युत आपूर्ति के लिए उत्तरी क्षेत्र ग्रिड के साथ संयोजकता परिकल्पित की गई थी। इसके अतिरिक्त, क्षेत्र में रक्षा अधिष्ठापनों की मौजूदगी के कारण और इसके सामरिक महत्व के कारण शेष ग्रिड के साथ संबद्ध रहना अनिवार्य महसूस किया गया था।
तदनुसार, 220 केवी स्तर पर द्रास, कारगिल, खाल्तिसी से होते हुए एल्सतेंग (श्रीनगर) से लेह तक की पारेषण प्रणाली के कार्यान्वयन के लिए एक परियोजना परिकल्पित की गई थी जिससे कि कारगिल एवं लेह क्षेत्रों को परामर्शी आधार पर पावरग्रिड के द्वारा उत्तरी ग्रिड से जोड़ा जा सके। पारेषण प्रणाली के अधिष्ठापित होने पर उसको प्रचालन एवं अनुरक्षण तथा अन्य संबद्ध क्रियाकलापों के निष्पादन के लिए पीडीडी, जम्मू एवं कश्मीर में स्थानांतरित कर दिया गया था। पीडीडी, जम्मू एवं कश्मीर द्वारा दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (तत्कालीन आरजीजीवीवाई) के अंतर्गत 66 केवी स्तर पर अनुप्रवाह नेटवर्क को कार्यान्वित किया जा रहा है।
इस परियोजना को दिनांक 31.01.2019 को अधिष्ठापित किया गया था और दिनांक
03.02.2019 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था।
तत्कालीन राज्य जम्मू एवं कश्मीर (जेएंडके) के जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख संघ शासित क्षेत्र पुनर्गठन के कारण विद्युत मंत्रालय ने 220 केवी श्रीनगर-लेह पारेषण प्रणाली को आईएसटीएस के रूप में पुननामित किया और उसको जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख के दो संघ शासित क्षेत्रों के गठन की प्रभावी तारीख 31.10.2019 से पावरग्रिड को स्थानांतरित कर दिया।