बिम्सटेक ग्रिड इंटरकनेक्शन की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन

  BIMSTECबिम्सटेक ग्रिड इंटरकनेक्शन की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन
 
बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसमें दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल के देशों का एक समूह शामिल है। "बिम्सटेक में ऊर्जा सहयोग के लिए कार्य योजना" दिनांक 4 अक्टूबर, 2005 को नई दिल्ली में आयोजित पहले बिम्सटेक ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में तैयार की गई थी। इस योजना में, "बिम्सटेक ट्रांस-पावर एक्सचेंज एंड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट" के अंतर्गत, यह निर्णय लिया गया था कि थाईलैंड के नेतृत्व में एक टास्क फोर्स, सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ, ग्रिड इंटरकनेक्शन के लिए मसौदा समझौता ज्ञापन पर एक रिपोर्ट देगी। ट्रांस-पावर एक्सचेंज पर बिम्सटेक के लिए टास्क फोर्स की कुल पांच बैठकें हुईं और दिनांक 16 मार्च 2015 को टास्क फोर्स द्वारा बिम्सटेक ग्रिड इंटरकनेक्शन की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन के प्रारूप को अंतिम रूप दिया गया।
 
दिनांक 16 अक्टूबर 2016 को गोवा में आयोजित बिम्सटेक लीडर्स रिट्रीट 2016 में, नेताओं ने बिम्सटेक ग्रिड इंटरकनेक्शन पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने में तेजी लाने का निर्णय लिया। आखिरकार, दिनांक 11-12 जनवरी 2017 को आयोजित ऊर्जा पर बिम्सटेक के वरिष्ठ अधिकारियों की चौथी बैठक के दौरान, समझौता ज्ञापन पर चर्चा की गई और इसे अंतिम रूप दिया गया, जिस पर सदस्य राज्यों द्वारा दिनांक 31.8.2018 को काठमांडू, नेपाल में आयोजित चौथे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किए गए।
 
यह समझौता ज्ञापन पार्टियों को बिम्सटेक क्षेत्र में तर्कसंगत और इष्टतम विद्युत पारेषण को बढ़ावा देने की दृष्टि से विद्युत के व्यापार के लिए ग्रिड इंटरकनेक्शन के कार्यान्वयन में सहयोग करने के लिए एक व्यापक फ्रेमवर्क प्रदान करेगा। यह समझौता ज्ञापन सुविधा प्रदान करेगा:
 
i. संबंधित पार्टियो के कानूनों, नियमों और विनियमों के अधीन गैर-भेदभावपूर्ण आधार पर पारस्परिक लाभ के लिए क्षेत्र में ऊर्जा संसाधनों का उपयोग करने का अनुकूलन;
ii. क्षेत्रीय विद्युत नेटवर्क के विकास के माध्यम से आवश्यक विद्युत व्यवस्था के कुशल, आर्थिक और सुरक्षित प्रचालन को बढ़ावा देना;
iii. पूरे क्षेत्र में उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए पूंजी निवेश के अनुकूलन की आवश्यकता; और
iv. सीमा पार इंटरकनेक्शन के माध्यम से विद्युत विनिमय।