अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के लिए एनईआरपीएसआईपी और व्यापक योजना

विद्युत क्षेत्र के विकास के दिशा-निर्देर्शों में पूर्वोत्तर क्षेत्र एवं सिक्किम की समग्र पारेषण, उप-पारेषण एवं संवितरण प्रणाली को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता को विनिर्दिष्ट किया गया था जिसके परिणामस्वरूप जनवरी, 2007 में अरूणाचल प्रदेश में पासीघाट पर पूर्वोत्तर परिषद की प्रथम क्षेत्रीय सम्मेलन के दौरान “विद्युत के संबंध में पासीघाट उदघोषणा”को जारी किया गया था। 
 
पासीघाट सम्मेलन की संस्तुतियों के अनुसार पूर्वोत्तर क्षेत्र में पारेषण, उप-पोरषण एवं संवितरण से संबद्ध मामलों पर केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के अध्यक्ष (विद्युत प्रणाली) की अध्यक्षता में एक उप-समूह का गठन किया गया था। तदनुसार, पावरग्रिड एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों तथा सिक्किम के परामर्श से सीईए द्वारा पारेषण, उप-पारेषण एवं संवितरण प्रणाली को सुदृढ़ बनाने के लिए एक व्यापक योजना तैयार की गई। 
 
उक्त परियोजना के अंतर्गत, विश्व बैंक/भारत सरकार से निधीकरण के माध्यम से असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिज़ोरम, मणिपुर एवं नागालैंड जैसे पूर्वोत्तर क्षेत्र के 6 राज्यों में योजना को क्रियान्वित किया गया। इसके अतिरिक्त, भारत सरकार द्वारा निधीकरण के माध्यम से एक पृथक परियोजना के अंतर्गत सिक्किम एवं अरूणाचल प्रदेश में भी कार्यान्वयन किया गया था। 
 
तदनुसार, भारत सरकार द्वारा दिनांक 1 दिसंबर, 2014 के कार्यालय ज्ञापन द्वारा 5111.33 करोड़ रूपये (फरवरी, 2014 मूल्य स्तर) की अनुमानित लागत पर अंतर्राज्जीय पारेषण एवं संवितरण प्रणालियों (33 केवी एवं अधिक) की सुदृढ़ता के लिए छह (6) राज्यों (असम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, त्रिपुरा एवं नागालैंड) के लिए ‘पूर्वोत्तर क्षेत्र पावर प्रणाली संशोधन परियोजना (एनईआरपीएसआईपी)’ के लिए संस्वीकृति जारी की गई थी जिसमें धनराशि की प्रथम किस्त के जारी होने की तारीख से 48 माह की अवधि में पूरा करने की समय-सीमा निर्धारित की गई थी। योजना की कुल संस्वीकृत लागत 5111.33 करोड़ रूपये में 12 प्रतिशत निष्पादन लागत तथा 89.00 करोड़ रूपये की क्षमता निर्माण व्यय सहित 5022.33 करोड़ रूपये की परियोजना लागत शामिल थी। इस योजना को भारत सरकार द्वारा विद्युत मंत्रालय के बजट एवं विश्व बैंक की 50:50 आधार पर निधीकरण के माध्यम से अनुमोदित किया गया था। 89.00 करोड़ रूपये के क्षमता निर्माण व्यय का निधीकरण पूर्णतः विद्युत मंत्रालय के बजट से भारत सरकार द्वारा किया गया था। इस परियोजना की लागत को भारत सरकार के दिनांक 24.12.2020 के संस्वीकृति आदेश के द्वारा 6700 करोड़ संशोधित किया गया था। 
 
भारत सरकार द्वारा दिनांक 10 अक्टूबर, 2014 के कार्यालय ज्ञापन द्वारा 4752.42 करोड़ रूपये (अप्रैल, 2013 मूल्य स्तर) की अनुमानित लागत पर अरूणाचल प्रदेश एवं सिक्किम में  पारेषण एवं संवितरण प्रणालियों को सुदृढ़ बनाने की विस्तृत योजना के लिए संस्वीकृति जारी की गई थी जिसमें धनराशि की प्रथम किस्त (निवेश के बाद के अनुमोदन) के जारी होने की तारीख से 48 माह की अवधि में पूरा करने की समय-सीमा निर्धारित की गई थी। योजना की कुल संस्वीकृत लागत 4754.22 करोड़ रूपये में 12 प्रतिशत की दर से आकलित 545.46 करोड़ रूपये की परामर्शी लागत सहित 4208.96 करोड़ रूपये की परियोजना लागत शामिल थी। बाद में, इस परियोजना की लागत को भारत सरकार के दिनांक 24.12.2020 के संस्वीकृति आदेश के द्वारा 9129.32 करोड़ संशोधित किया गया था। 
 
परियोजना की समस्त लागत को विद्युत मंत्रालय की योजना स्कीम के द्वारा भारत सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।