सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम
जीवाश्म ईंधन से, इसने जल और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में कदम रखा है और अब परमाणु ऊर्जा उत्पादन में प्रवेश किया है। यह प्रयास ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करके इसके कार्बन पदचिह्न को कम करने में प्रमुख भूमिका निभाएगा। अपने मुख्य व्यवसाय को मजबूत करने के लिए, कंपनी ने कोयला खनन, परामर्श, विद्युत व्यापार, विद्युत पेशेवरों के प्रशिक्षण आदि जैसे विविध क्षेत्रों में प्रवेश किया है। यह कार्बन कैप्चर और हरित रसायनों में भी अवसरों की तलाश कर रहा है।
एनटीपीसी 2004 में एक सूचीबद्ध कंपनी और 2010 में एक महारत्न कंपनी बन गई। इसका लक्ष्य दुनिया की अग्रणी विद्युत कंपनी बनना, भारत के विकास को ऊर्जावान करना और वर्ष 2032 तक 130 गीगावॉट क्षमता वाली कंपनी बनने की योजना है। एनटीपीसी को प्लैट्स शीर्ष 250 वैश्विक ऊर्जा कंपनी रैंकिंग(आईपीपी)2022में प्रथम स्थान वाले स्वतंत्र विद्युत उत्पादक का दर्जा दिया गया है। ।
कंपनी के पास 18,000 से अधिक का समर्पित कार्यबल है और यह पूरे भारत में लाखों घरों और व्यवसायों को रोशन रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कर्मचारी कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को उजागर करते हुए, एनटीपीसी ने "विश्व के सर्वश्रेष्ठ नियोक्ता 2023" में से एक के रूप में स्थान हासिल किया, जो ऐसा करने वाला एकमात्र भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। यह उपलब्धि आधुनिक निष्पादन प्रबंधन प्रणाली और निरंतर सीखने के अवसरों सहित इसके विश्व स्तरीय लोक व्यवहारों को दर्शाती है।
एनटीपीसी ऊर्जा संबंधी संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय वार्ता (एचएलडीई) के भाग के रूप में अपने ऊर्जा कॉम्पैक्ट लक्ष्यों की घोषणा करने वाली दुनिया की पहली ऊर्जा कंपनी बन गई। कंपनी ने वर्ष 2032 तक 60 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का और 2032 तक शुद्ध ऊर्जा गहनता में 10% की कमी लाने का लक्ष्य रखा है। 30.04.2024 को यथास्थिति एनटीपीसी समूह की स्थापित क्षमता 76,015 मेगावाट है, जिसमें संयुक्त उद्यम/सहायक कंपनियों के अंतर्गत 16,880 मेगावाट शामिल है। इसमें कोयला आधारित संयंत्रों से 62,194 मेगावाट, संयुक्त चक्र गैस/नाफ्था-आधारित विद्युत संयंत्रों से 6511 मेगावाट, जलविद्युत संयंत्रों से 3725 मेगावाट और नवीकरणीय ऊर्जा-आधारित विद्युत संयंत्रों से 3585 मेगावाट शामिल हैं। एनटीपीसी को 91.6 एमएमटीपीए की कुल पीक रेटेड क्षमता वाले 9 कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए हैं। इनमें से 6 कोयला ब्लॉक चालू हैं और 3 विकास के अधीन है।
एनटीपीसी देश में उत्पादित कुल विद्युत का एक-चौथाई और देश की स्थापित क्षमता के छठे हिस्से का योगदान देता है।
एनटीपीसी की मजबूत वित्तीय स्थिति इसके सुदृढ़ तुलन-पत्र, सर्वाधिक प्रतिस्पर्धी दरों पर ऋण आकर्षित करने की क्षमता और इसके लगातार लाभांश भुगतान में परिलक्षित होती है, जिससे मजबूत बाजार उपस्थिति बनाए रखते हुए हितधारकों के मूल्य को अधिकतम किया जाता है।
क्षमता, दृष्टिकोण और भविष्य के प्रयासों के बारे में विस्तारपूर्वक जानने के लिए https://www.ntpc.co.in/ पर जाएं।
एनएचपीसी लिमिटेड (जिसे पहले नेशनल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) को 1975 में कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत शामिल किया गया था। कंपनी को भारत और विदेशों में पारंपरिक और गैर-पारंपरिक स्रोतों के माध्यम से अपने सभी पहलुओं में बिजली के एकीकृत और कुशल विकास की योजना बनाने, बढ़ावा देने और व्यवस्थित करने के लिए अधिदेशित किया गया है। एनएचपीसी 2009 में अपने आईपीओ को सफलतापूर्वक समाप्त करने के बाद NSE और BSE पर एक सूचीबद्ध कंपनी है।
एनएचपीसी भारत सरकार का नवरत्न उद्यम है जिसकी 30 जून, 2024 तक authorized share capital ₹ 15,000 करोड़, Paid-up capital ₹ 10,045.03 करोड़ और ₹ 79789.87 करोड़ का Investment base है।
31 अगस्त, 2024 की स्थिति के अनुसार एनएचपीसी की कुल संस्थापित क्षमता 7144.20 मेगावाट है, जिसमें संयुक्त उद्यम/ सहायक कंपनियों से 1593 मेगा वाट शामिल है, जिसमें 22 जल विद्युत स्टेशनों से 6971.20 मेगावाट, तीन सौर ऊर्जा परियोजना से 123 मेगावाट और एक पवन ऊर्जा परियोजना से 50 मेगावाट शामिल हैं। एनएचपीसी का 6971.20 मेगावाट का हाइड्रो शेयर देश की कुल स्थापित जल विद्युत क्षमता 46928.17 मेगावाट का लगभग 14.85% है (31 अगस्त, 2024 तक, CEA वैबसाइट अनुसार)।
देश का पूर्वोतर क्षेत्र देश की सबसे अधिक जल विद्युत क्षमता से समृद्ध है, जो अनुमानित55,930 मेगावाट(25 मेगावाट से ऊपर) है, जो देश के कुल भंडार(1,33,410 मेगावाट) का लगभग42% है।
नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड का मुख्य उद्देश्य जल, ताप और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा पावर प्लांट स्थापित करके देश में बिजली उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है।वर्तमान में, पूर्वोतर क्षेत्र की5052 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता में से,नीपको2057 मेगावाट का योगदान दे रहा है, जिसमें1525 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाले8 (आठ) हाइड्रो पावर स्टेशन, 527 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाले3 (तीन)गैस-आधारित थर्मल पावर स्टेशन और5 मेगावाट क्षमता का1 (एक) सौर पावर स्टेशन शामिल हैं।
नीपको ने हाल ही में दिनांक12 अगस्त2023 को अरुणाचल प्रदेश सरकार के साथ राज्य में2626 मेगावाट की कुल क्षमता वाली पांच जलविद्युत परियोजनाओं के विकास के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह परियोजनाएं हैं टाटो-II एचईपी(700 मेगावाट), टाटो-Iएचईपी(186 मेगावाट), हेओ एचईपी(240 मेगावाट), नेयिंग एचईपी(1000 मेगावाट) और हिरोंग एचईपी(500 मेगावाट)।इससे पहले, नीपकोने अरुणाचल प्रदेश राज्य में नाफरा एचईपी(120 मेगावाट), कुरुंग एचईपी(330 मेगावाट) और न्यू मेलिंग एचईपी(180 मेगावाट)और मेघालय राज्य में वाह उमियाम चरण-III एचईपी(85 मेगावाट), वाह उमियाम चरण-I एचईपी(50 मेगावाट) और वाह उमियाम चरण-II एचईपी(100 मेगावाट) के विकास के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।
पंप स्टोरेज परियोजनाओं के विकास के लिए,अरुणाचल प्रदेश में मौजूदा405 मेगावाट के पंयोर लोअर एचपीएस में660 मेगावाट के पंयोर पीएसपी की पहचान की गई है और असम में मौजूदा275 मेगावाट के कोपिली हाइड्रो पावर स्टेशन पर320 मेगावाट के कोपिली पीएसपी की पहचान की गई है। दोनों परियोजनाओं के लिए पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट(पीएफआर) पूरी हो चुकी है और जांच के अधीन है।
नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के संबंध में, कोपिली एचपीएस में40 मेगावाट फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट(एफएसपी) के लिए पीएफआर पूरा हो चुका है। देश के अन्य हिस्सों में भी सौर परियोजनाएं स्थापित करने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
नीपको की प्रस्तावित आगामी परियोजनाओं के पाइपलाइन में होने से, निगम के अगले10 वर्षों में6000+ मेगावाट की कंपनी बनने की संभावना है।
अधिक जानकारी के लिए, कृपया http://www.neepco.co.in साइट देखें ।
कंपनी की इक्विटी को पहले भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार के मध्य 75:25 के अनुपात में साझा किया जाता था। सामरिक बिक्री के अनुसरण में, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड में भारत के राष्ट्रपति द्वारा धारित इक्विटी के विधिक और लाभकारी स्वामित्व के अधिग्रहण के लिए एनटीपीसी लिमिटेड और भारत के राष्ट्रपति के बीच 25 मार्च, 2020 को शेयर खरीद समझौते को निष्पादित किया गया था। रणनीतिक बिक्री के बाद, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड में इक्विटी एनटीपीसी लिमिटेड और यूपी सरकार के बीच 74.496% और 25.504% के अनुपात में साझा की जाती है।
कंपनी की प्राधिकृत शेयर पूंजी₹4000 करोड़ है और 31 अगस्त 2023तक चुकता पूंजी₹3665.88 करोड़ है।
टीएचडीसीआईएल का गठन 2400 मेगावाट टिहरी हाइड्रो पावर कॉम्प्लेक्स (टिहरी एचपीपी-1000 मेगावाट, टिहरी पीएसपी-1000 मेगावाट और कोटेश्वर एचईपी-400 मेगावाट) और अन्य जलविद्युत परियोजनाओं के विकास, प्रचालन और रखरखाव के एकमात्र उद्देश्य के साथ किया गया था। टीएचडीसीआईएल ने अपने क्षितिज का विस्तार किया है और ऊर्जा के सभी प्रकार के पारंपरिक और गैर-पारंपरिक रूपों में पूरी तरह से विविधता की है।निगम एक बहु-परियोजना संगठन के रूप में विकसित हुआ है,जिसमें परियोजनाएं विभिन्न राज्यों के साथ-साथ पड़ोसी देश,भूटान में फैली हुई हैं।
वर्तमान में, टीएचडीसीआईएल के पास4516 मेगावाट की कुल क्षमता वालीहाइड्रो, थर्मल, विंड और सौर ऊर्जा की परियोजनाएं हैं। इसमें1587 मेगावाटपरिचालन परियोजनाएं (टिहरी एचपीपी-1000 मेगावाट, कोटेश्वर एचईपी-400 मेगावाट, ढुकवां एसएचपी-24 मेगावाट, पाटन विंड फार्म-50 मेगावाट, देवभूमिद्वारका पवन फार्म-63 मेगावाट और कासरगोड सौर ऊर्जा संयंत्र-50 मेगावाट)हैं।2764 मेगावाट की निर्माणाधीन परियोजनाएं (टिहरी पीएसपी-1000 मेगावाट, वीपीएचईपी444 मेगावाट और खुर्जा1320 मेगावाट) शामिल हैं। तथा 165 मेगावाट की बोकांग बाइलिंग परियोजनाएं डीपीआर चरण में हैं।
इसके अतिरिक्तस्वच्छ और हरित ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करते हुए, टीएचडीसीआईएल'UPNEDA' (उत्तर प्रदेश सरकार की एकइकाई/एजेंसी) के साथ संयुक्त रूप सेTUSCO नामक कम्पनी का गठन कर उत्तरप्रदेश राज्य के झांसी (600 मेगावाट), ललितपुर (600 मेगावाट) और चित्रकूट (800 मेगावाट) में2000 मेगावाट के सौर ऊर्जा पार्क भी विकसित कर रहा है। तद्पश्चात, टीएचडीसीआईएल और आरआरईसीएल (राजस्थान रिन्यूएबल एनर्जी कॉर्पोरेशन लिमिटेड) के बीच'ट्रेडको राजस्थान लिमिटेड' नाम की एक अन्य संयुक्त उद्यम कंपनी को भी राजस्थान राज्य में10,000 मेगावाट अल्ट्रा मेगा रिन्यूएबल एनर्जी पार्क के विकास के लिए गठित किया गया है।
टीएचडीसीआईएल उत्तराखंड में जलविद्युत परियोजनाओं के विकास की संभावनाएं भी तलाश रहा है। टीएचडीसीआईएल और उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) ने उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाओं की अप्रयुक्त क्षमता का दोहन करने के लिए मार्च2023 में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।