सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम

1. एनटीपीसी लिमिटेड
एनटीपीसी भारत का सबसे बड़ा ऊर्जा समूह है जिसकी नींव 1975 में भारत में विद्युत विकास को गति देने के लिए रखी गई थीं। तब से, इसने विद्युत उत्पादन व्यवसाय की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में उपस्थिति के साथ खुद को प्रमुख विद्युत कंपनी के रूप में स्थापित किया है।
जीवाश्म ईंधन से, इसने जल और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में कदम रखा है और अब परमाणु ऊर्जा उत्पादन में प्रवेश किया है। यह प्रयास ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करके इसके कार्बन पदचिह्न को कम करने में प्रमुख भूमिका निभाएगा। अपने मुख्य व्यवसाय को मजबूत करने के लिए, कंपनी ने कोयला खनन, परामर्श, विद्युत व्यापार, विद्युत पेशेवरों के प्रशिक्षण आदि जैसे विविध क्षेत्रों में प्रवेश किया है। यह कार्बन कैप्चर और हरित रसायनों में भी अवसरों की तलाश कर रहा है।
एनटीपीसी 2004 में एक सूचीबद्ध कंपनी और 2010 में एक महारत्न कंपनी बन गई। इसका लक्ष्य दुनिया की अग्रणी विद्युत कंपनी बनना, भारत के विकास को ऊर्जावान करना और वर्ष 2032 तक 130 गीगावॉट क्षमता वाली कंपनी बनने की योजना है। एनटीपीसी को प्लैट्स शीर्ष 250 वैश्विक ऊर्जा कंपनी रैंकिंग(आईपीपी)2022में प्रथम स्थान वाले स्वतंत्र विद्युत उत्पादक का दर्जा दिया गया है। ।
कंपनी के पास 18,000 से अधिक का समर्पित कार्यबल है और यह पूरे भारत में लाखों घरों और व्यवसायों को रोशन रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कर्मचारी कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को उजागर करते हुए, एनटीपीसी ने "विश्व के सर्वश्रेष्ठ नियोक्ता 2023" में से एक के रूप में स्थान हासिल किया, जो ऐसा करने वाला एकमात्र भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। यह उपलब्धि आधुनिक निष्पादन प्रबंधन प्रणाली और निरंतर सीखने के अवसरों सहित इसके विश्व स्तरीय लोक व्यवहारों को दर्शाती है।
एनटीपीसी ऊर्जा संबंधी संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय वार्ता (एचएलडीई) के भाग के रूप में अपने ऊर्जा कॉम्पैक्ट लक्ष्यों की घोषणा करने वाली दुनिया की पहली ऊर्जा कंपनी बन गई। कंपनी ने वर्ष 2032 तक 60 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का और 2032 तक शुद्ध ऊर्जा गहनता में 10% की कमी लाने का लक्ष्य रखा है। 30.04.2024 को यथास्थिति एनटीपीसी समूह की स्थापित क्षमता 76,015 मेगावाट है, जिसमें संयुक्त उद्यम/सहायक कंपनियों के अंतर्गत 16,880 मेगावाट शामिल है। इसमें कोयला आधारित संयंत्रों से 62,194 मेगावाट, संयुक्त चक्र गैस/नाफ्था-आधारित विद्युत संयंत्रों से 6511 मेगावाट, जलविद्युत संयंत्रों से 3725 मेगावाट और नवीकरणीय ऊर्जा-आधारित विद्युत संयंत्रों से 3585 मेगावाट शामिल हैं। एनटीपीसी को 91.6 एमएमटीपीए की कुल पीक रेटेड क्षमता वाले 9 कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए हैं। इनमें से 6 कोयला ब्लॉक चालू हैं और 3 विकास के अधीन है।
एनटीपीसी देश में उत्पादित कुल विद्युत का एक-चौथाई और देश की स्थापित क्षमता के छठे हिस्से का योगदान देता है।
एनटीपीसी की मजबूत वित्तीय स्थिति इसके सुदृढ़ तुलन-पत्र, सर्वाधिक प्रतिस्पर्धी दरों पर ऋण आकर्षित करने की क्षमता और इसके लगातार लाभांश भुगतान में परिलक्षित होती है, जिससे मजबूत बाजार उपस्थिति बनाए रखते हुए हितधारकों के मूल्य को अधिकतम किया जाता है।

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2. एनएचपीसी लिमिटेड
 
एनएचपीसी लिमिटेड  जलविद्युतविकास के  लिए भारत का सबसे बड़ा संगठन है, जिसमें जल विद्युत परियोजनाओं की अवधारणा से लेकर चालू होने तक सभी गतिविधियों को करने की क्षमता है। एनएचपीसी ने सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, पम्प स्टोरेज, हरित हाइड्रोजन, पावर ट्रेडिंग  आदि के क्षेत्र में भी विस्तार किया है।

एनएचपीसी लिमिटेड (जिसे पहले नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) को 1975 में कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत शामिल किया गया था। कंपनी को भारत और विदेशों में पारंपरिक और गैर-पारंपरिक स्रोतों के माध्यम से अपने सभी पहलुओं में बिजली के एकीकृत और कुशल विकास की योजना बनाने, बढ़ावा देने और व्यवस्थित करने के लिए अधिदेशित किया गया है। एनएचपीसी 2009 सेनेशनल स्टॉक एक्सचेंजऔर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंजपर एक सूचीबद्ध कंपनी है।

एनएचपीसी के पास ₹15,000 करोड़ रुपये की अधिकृत शेयर पूंजी ₹10,045.03 करोड़ रुपये की प्रदत्त पूंजी और ₹ 78089.17 करोड़ रुपये का निवेश आधार है (31 दिसंबर, 2023 की स्थिति के अनुसार)

एनएचपीसी की कुल संस्थापित क्षमता 7144.20 मेगावाट है (31 मार्च ,  2024 की स्थिति के अनुसार)जिसमें संयुक्त उद्यम में 1593 मेगावाट शामिल है, जिसमें 22 जल विद्युत स्टेशनों से 6971.20 मेगावाट,  तीन सौर ऊर्जा परियोजना से 123मेगावाट और एक पवन ऊर्जा परियोजना से 50 मेगावाट शामिल हैं। एनएचपीसी का 6971.20 मेगावाट का हाइड्रो शेयर देश की कुल स्थापित जल विद्युत क्षमता 46928.17 मेगावाट का लगभग 14.85% है।

 
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3. रूरल इलैक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन (आरईसी)
रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (आरएसी) की स्थापना देश में ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ वर्ष 1969 में की गई थी। आरईसी को वर्ष 1992 में कंपनी अधिनियम की धारा 4- क के अंतर्गत सार्वजनिक वित्तीय संस्थान के रूप में घोषित किया गया था। फरवरी, 1998 में कॉरपोरेशन को भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-1क के अंतर्गत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के रूप में पंजीकृत किया गया था। कॉरपोरेशन की प्राधिकृत शेयर पूंजी 800 करोड रुपए है। वर्ष 1998-99 के दौरान, भारत सरकार ने कॉरपोरेशन की शेयर पूंजी के लिए 50 करोड रुपये का अंशदान दिया जिससे इसकी प्रदत्त पूंजी 30.11.1998 को बढ़कर 680.60 करोड़ रुपये हो गई। कॉरपोरेशन द्वारा वित्त पोषित ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यक्रमों में जनजातीय गांवों और दलित बस्तियों सहित गांवों का विद्युतीकरण, पंपसेटों को ऊर्जा प्रदान करना, लघु, कृषि आधारित और ग्रामीण उद्योगों के लिए विद्युत का उपलब्ध कराना, ग्रामीण घरों को रोशनी प्रदान करना और स्ट्रीट लाइटिंग शामिल हैं। कॉरपोरेशन  उप-पारेषण और वितरण प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिए प्रणाली सुधार परियोजनाओं और पवन ऊर्जा तथा जल विद्युत परियोजनाओं जैसी छोटी विद्युत उत्पादन परियोजनाओं को शुरू करने के लिए राज्य विद्युत बोर्डों को वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रहा है। इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा वर्ष 1988 89 में कुटीर ज्योति कार्यक्रम के अंतर्गत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे ग्रामीण परिवारों को 1000.00 रुपये प्रति कनेक्शन अथवा बिना मीटर के 800 रुपये प्रति कनेक्शन की अधिकतम सीमा तक आंतरिक वायरिंग और सर्विस कनेक्शन प्रभारों के लिए एक बारगी प्रारंभिक लागत राज्य सरकारों/राज्य विद्युत बोर्डों के माध्यम से अनुदान के रूप में प्रदान की जाती है।
 
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4. नार्थ ईस्टर्न इलैक्ट्रिक पावर कारपोरेशन (नीपको)
 
नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड(नीपको) का गठन1976 में कंपनी अधिनियम1956 के तहत पूर्वोतर क्षेत्र के नियोजित विकास के माध्यम से देश के पूर्वोतर क्षेत्र की विशाल बिजली क्षमता को विकसित करने के उद्देश्य से किया गया था, जिसका विस्तार अब देश के अन्य क्षेत्रों एवं बाहर में भी हो गया है। पिछले कुछ वर्षों में, नीपको 5000.00 करोड़ रुपये की अधिकृत शेयर पूंजी के साथ एक अग्रणी सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम बन गया है।नीपकोको2008 में अनुसूची'ए' एंटरप्राइज में अपग्रेड किया गया था और बाद में2013 में मिनी-रत्न श्रेणी-I का दर्जा दिया गया था।मार्च2020 से, कंपनी एनटीपीसी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बन गई है।
देश का पूर्वोतर क्षेत्र देश की सबसे अधिक जल विद्युत क्षमता से समृद्ध है, जो अनुमानित55,930 मेगावाट(25 मेगावाट से ऊपर) है, जो देश के कुल भंडार(1,33,410 मेगावाट) का लगभग42% है।
नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड का मुख्य उद्देश्य जल, ताप और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा पावर प्लांट स्थापित करके देश में बिजली उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है।वर्तमान में, पूर्वोतर क्षेत्र की5052 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता में से,नीपको2057 मेगावाट का योगदान दे रहा है, जिसमें1525 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाले8 (आठ) हाइड्रो पावर स्टेशन, 527 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाले3 (तीन)गैस-आधारित थर्मल पावर स्टेशन और5 मेगावाट क्षमता का1 (एक) सौर पावर स्टेशन शामिल हैं।
नीपको ने हाल ही में दिनांक12 अगस्त2023 को अरुणाचल प्रदेश सरकार के साथ राज्य में2626 मेगावाट की कुल क्षमता वाली पांच जलविद्युत परियोजनाओं के विकास के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह परियोजनाएं हैं टाटो-II एचईपी(700 मेगावाट), टाटो-Iएचईपी(186 मेगावाट), हेओ एचईपी(240 मेगावाट), नेयिंग एचईपी(1000 मेगावाट) और हिरोंग एचईपी(500 मेगावाट)।इससे पहले, नीपकोने अरुणाचल प्रदेश राज्य में नाफरा एचईपी(120 मेगावाट), कुरुंग एचईपी(330 मेगावाट) और न्यू मेलिंग एचईपी(180 मेगावाट)और मेघालय राज्य में वाह उमियाम चरण-III एचईपी(85 मेगावाट), वाह उमियाम चरण-I एचईपी(50 मेगावाट) और वाह उमियाम चरण-II एचईपी(100 मेगावाट) के विकास के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।

पंप स्टोरेज परियोजनाओं के विकास के लिए,अरुणाचल प्रदेश में मौजूदा405 मेगावाट के पंयोर लोअर एचपीएस में660 मेगावाट के पंयोर पीएसपी की पहचान की गई है और असम में मौजूदा275 मेगावाट के कोपिली हाइड्रो पावर स्टेशन पर320 मेगावाट के कोपिली पीएसपी की पहचान की गई है। दोनों परियोजनाओं के लिए पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट(पीएफआर) पूरी हो चुकी है और जांच के अधीन है।

नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के संबंध में, कोपिली एचपीएस में40 मेगावाट फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट(एफएसपी) के लिए पीएफआर पूरा हो चुका है। देश के अन्य हिस्सों में भी सौर परियोजनाएं स्थापित करने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
नीपको की प्रस्तावित आगामी परियोजनाओं के पाइपलाइन में होने से, निगम के अगले10 वर्षों में6000+ मेगावाट की कंपनी बनने की संभावना है।
 

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5.  पावर फाइनेंस कारपोरेशन(पीएफसी)
 
पावर फाइनेंस कारपोरेशन लि. (पीएफसी) का गठन कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत 16 जुलाई, 1986 को किया गया था। पीएफसी का लक्ष्य विद्युत क्षेत्र की प्रगति एवं संपूर्ण विकास को समर्पित मुख्य विकास वित्तीय संस्थान के रूप में कार्य करना है। पीएफसी की ऋणी सूची में राज्य विद्युत बोर्ड, राज्य उत्पादन कारपोरेशन, केंद्रीय और निजी क्षेत्र की विद्युत यूटिलिटियों के अतिरिक्त निगम द्वारा चालित विद्युत यूटिलिटियां शामिल है। कारपारेशन द्वारा उपलब्ध कराई गई निधि आबंटन की योजना तैयार करने के लिए अतिरिक्त निधि के रूप में होती है और परियोजन विशेष के गुणों पर आधारित होती है। 30 जून, 1999 की स्थिति के अनुसार, कारपोरेशन की प्राधिकृत पूंजी और प्रदत्त (इक्विटी) पूंजी क्रमशः 2000 करोड़ रूपए और 1030 करोड़ रूपए थी।
 
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6.  पावर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया (पावरग्रिड)
 
पावर ग्रिड का गठन ''बेहतर वाणिज्यिक सिद्धांतों पर विश्वसनीयता, सुरक्षा और अर्थव्यवस्था सहित क्षेत्र के भीतर और बाहर विद्युत के अंतरण की सुविधा प्रदान करने के लक्ष्य से क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पावर ग्रिडों की स्थापना और प्रचालन'' के उद्देश्य से 23 अक्टूबर, 1989 को किया गया था। पावर ग्रिड पारेषण क्षेत्र जिसे अब तक अलग रखा गया है, को उचित प्राथमिकता देने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। अब इसकी भारत के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र की पहचान की गई है और पावर ग्रिड को देश की केंद्रीय राष्ट्रीय पारेषण यूटिलिटी के रूप में वैधानिक रूप से मान्यता दी गई है।
 
विगत 7 वर्षों के दौरान, कंपनी ने राष्ट्रीय नेटवर्क की लगभग 13,000 सर्किट किमी इएचवी पारेषण लाइनें शामिल की है। कंपनी का परिसंपत्ति आधार वर्ष 1992-93 में 3521 करोड़ रूपए से बढ़कर वर्ष 1997-98 में 8096 करोड़ रूपए हो गई थी और 1992-93 में 634 करोड़ रूपए की संतुलित राशि से वर्ष 1997-98 में 1434.68 करोड़ रूपए की संतुलित राशि पर बेची गई। पावर ग्रिड 31,000 सर्किट किमी की पारेषण लाइनों का प्रचालन करता है जिसमें लगभग 28,000 एमवीए की 400 केवी, 220 केवी, 132 केवी एसी पारेषण लाइनें और एचवीडीसी पारेषण प्रणाली शामिल है जो 55 से अधिक सबस्टेशनों को बांटी गई हैं और 98% से अधिक उपलब्धता स्तर पर व्यवस्थित की गई है।
 
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7.  एसजेवीएन-मिनी रत्न कंपनी
 
एसजेवीएनएल लि. विद्युत मंत्रालय के अधीन मिनीरत्न और अनुसूची 'क' के अधीन सीपीएसयू, भारत और हिमाचल प्रदेश के बीच एक संयुक्त उद्यम है। इसकी स्थापना वर्ष 1998 में हुई थी।
 
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8.   टीएचडीसी इंडिया लि.
 
टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत जुलाई'1988 में पंजीकृत एक प्रमुख लाभ कमाने वाला सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है। टीएचडीसीआईएल को अक्टूबर2009 में'मिनी रत्न-श्रेणी-I का दर्जा दिया गया था और भारत सरकार द्वारा जुलाई' 2010 में अनुसूची'ए' पीएसयू में अपग्रेड किया गया था।

कंपनी की इक्विटी को पहले भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार के मध्य 75:25 के अनुपात में साझा किया जाता था। सामरिक बिक्री के अनुसरण में, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड में भारत के राष्ट्रपति द्वारा धारित इक्विटी के विधिक और लाभकारी स्वामित्व के अधिग्रहण के लिए एनटीपीसी लिमिटेड और भारत के राष्ट्रपति के बीच 25 मार्च, 2020 को शेयर खरीद समझौते को निष्पादित किया गया था। रणनीतिक बिक्री के बाद, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड में इक्विटी एनटीपीसी लिमिटेड और यूपी सरकार के बीच 74.496% और 25.504% के अनुपात में साझा की जाती है।

कंपनी की प्राधिकृत शेयर पूंजी₹4000 करोड़ है और 31 अगस्त 2023तक चुकता पूंजी₹3665.88 करोड़ है।

टीएचडीसीआईएल का गठन 2400 मेगावाट टिहरी हाइड्रो पावर कॉम्प्लेक्स (टिहरी एचपीपी-1000 मेगावाट, टिहरी पीएसपी-1000 मेगावाट और कोटेश्वर एचईपी-400 मेगावाट) और अन्य जलविद्युत परियोजनाओं के विकास, प्रचालन और रखरखाव के एकमात्र उद्देश्य के साथ किया गया था। टीएचडीसीआईएल ने अपने क्षितिज का विस्तार किया है और ऊर्जा के सभी प्रकार के पारंपरिक और गैर-पारंपरिक रूपों में पूरी तरह से विविधता की है।निगम एक बहु-परियोजना संगठन के रूप में विकसित हुआ है,जिसमें परियोजनाएं विभिन्न राज्यों के साथ-साथ पड़ोसी देश,भूटान में फैली हुई हैं।

वर्तमान में, टीएचडीसीआईएल के पास4516 मेगावाट की कुल क्षमता वालीहाइड्रो, थर्मल, विंड और सौर ऊर्जा की परियोजनाएं हैं। इसमें1587 मेगावाटपरिचालन परियोजनाएं (टिहरी एचपीपी-1000 मेगावाट, कोटेश्वर एचईपी-400 मेगावाट, ढुकवां एसएचपी-24 मेगावाट, पाटन विंड फार्म-50 मेगावाट, देवभूमिद्वारका पवन फार्म-63 मेगावाट और कासरगोड सौर ऊर्जा संयंत्र-50 मेगावाट)हैं।2764 मेगावाट की निर्माणाधीन परियोजनाएं (टिहरी पीएसपी-1000 मेगावाट, वीपीएचईपी444 मेगावाट और खुर्जा1320 मेगावाट) शामिल हैं। तथा 165 मेगावाट की बोकांग बाइलिंग परियोजनाएं डीपीआर चरण में हैं।

इसके अतिरिक्तस्वच्छ और हरित ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करते हुए, टीएचडीसीआईएल'UPNEDA' (उत्तर प्रदेश सरकार की एकइकाई/एजेंसी) के साथ संयुक्त रूप सेTUSCO नामक कम्पनी का गठन कर उत्तरप्रदेश राज्य के झांसी (600 मेगावाट), ललितपुर (600 मेगावाट) और चित्रकूट (800 मेगावाट) में2000 मेगावाट के सौर ऊर्जा पार्क भी विकसित कर रहा है। तद्पश्चात, टीएचडीसीआईएल और आरआरईसीएल (राजस्थान रिन्यूएबल एनर्जी कॉर्पोरेशन लिमिटेड) के बीच'ट्रेडको राजस्थान लिमिटेड' नाम की एक अन्य संयुक्त उद्यम कंपनी को भी राजस्थान राज्य में10,000 मेगावाट अल्ट्रा मेगा रिन्यूएबल एनर्जी पार्क के विकास के लिए गठित किया गया है।

टीएचडीसीआईएल उत्तराखंड में जलविद्युत परियोजनाओं के विकास की संभावनाएं भी तलाश रहा है। टीएचडीसीआईएल और उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) ने उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाओं की अप्रयुक्त क्षमता का दोहन करने के लिए मार्च2023 में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
 

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9. पावर सिस्टम आपरेशन कारपोरेशन लिमिटेड (पोसोको)
पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पोसोको) विद्युत मंत्रालय के अधीन पूर्ण स्वामित्व वाली सरकारी कंपनी है। पोसोको नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय भार प्रेषण केंद्र (एनएलडीसी)और कोलकाता शिलॉन्ग, नई दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु स्थित पांच क्षेत्रीय भार प्रेषण केंद्रों (आरएलडीसीज) का प्रचालन कर रहा है। विद्युत अधिनियम, 2003 के अधिदेश के अनुसार, आरएलडीसी और एनएलडीसीज राष्ट्रीय ग्रिड के रीयल टाइम एकीकृत प्रचालन के लिए सर्वोच्च निकाय हैं। 
पोसोको क्षेत्रों के भीतर एवं क्षेत्रों से बाहर और राष्ट्रीय सीमा पार विद्युत एक्सचेंजों में इलेक्ट्रिक विद्युत के स्थानांतरण को सुकर बनाता है और समय-समय पर भारत सरकार द्वारा सौंपे गए विभिन्न अन्य कृत्यों का निष्पादन भी करता है। इसके अलावा, पोसोको विद्युत क्षेत्र की विभिन्न एजेंसियों द्वारा अनुपालन किए जाने के लिए नियमों, दिशा निर्देशों और मानकों का अनुपालन करता है।
 
प्रभावी प्रणाली प्रचालन और विपणन परिचालन गतिविधियों के माध्यम से मितव्ययिता के साथ विश्वसनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ, पोसोको को नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाण पत्र (आरईसी) तंत्र के क्रियान्वयन, ऊर्जा बचत प्रमाणपत्रों  (ईएससर्ट्स) की रजिस्ट्री, पाइन्ट आफ कनेक्शन (पीओसी) आधारित प्रभारों के लिए क्रियान्वयनकर्ता एजेंसी, विद्युत आपूर्ति विनियमन आदि का उत्तरदायित्व भी सौंपा गया है।
 
अधिक जानकारी के लिए कृपया साइट:  http://www.posoco.in सर्फ करें।